अयोध्या में रामलला के जन्मस्थान पर मंदिर बनाने को लेकर चल रहे विवाद का अभी निपटारा भी नही हुआ है कि अब उनके गर्भगृह में भक्तों के चढ़ावे को लेकर नए विवाद का आगाज हो गया है । रामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्रदास ने रामलला की उपेक्षा करने और दानपात्र घोटाले को लेकर एक के बाद एक सनसनीखेज आरोप लगा दिए है तो वही जबाब में रामजन्म भूमि के रिसीवर और फैज़ाबाद के कमिश्नर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि रामलला तो 5 करोड़ से अधिक संम्पत्ति के मालिक हो चुके है ।
दरअसल राम मंदिर और विवादित परिसर की व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा एक गाइडलाइन जारी की है जिस को कार्यान्वित करने का जिम्मा रिसीवर और फैजाबाद के कमिश्नर के जिम्मे हैं। इसी के अनुसार गर्भगृह में विराजमान रामलला के भोगराग और देखरेख की व्यवस्था की जाती है। इसी व्यवस्था में शामिल है रामलला के दानपात्र में भक्तों द्वारा चढ़ावे का हिसाब किताब करना। इसके लिए रिसीवर और फैज़ाबाद के कमिश्नर के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया है जो दानपात्र में चढ़ावे के पैसे और अन्य सामानों का हिसाब किताब रखती है। अब मुख्य पुजारी ने जो आरोप लगाया है उसके केंद्र बिंदु में तीन चीजे अहम है जो आरोपो के रूप में रिसीवर और पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है । यह तीन आरोप मुख्यतः इस तरह है
पहला यह कि जिस जगह दानपात्र की गणना होती है वंहा सीसीटीवी कैमरा नही है ।
दूसरा यह कि रामलला के आय व्यय की गणना को सार्वजनिक नही किया जा रहा है ।
और अंत मे सबसे अहम आरोप यह कि रुपये पैसे के अलावा जो श्रद्धालु कीमती धातु का सामान चढ़ाते हैं उसकी गणना वर्षों से बंद है इन सामानों का हुआ क्या उन सामानों का कोई आता पता क्यो नही है .. ?
वहीं रामलला के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास का कहना हैं की ” जब रिसीवर आते हैं तो उनको इस बात को बताया नहीं जाता, होना यह चाहिए जो काम पीछे हो चुका है उसका चार्ज लिया जाए और जब मजिस्ट्रेट आए तो पिछले मजिस्ट्रेट का चार्ज लेते समय देखा जाए कि पहले क्या हुआ, क्या नहीं हुआ। परेशानियां यह है की जो श्रद्धालु ने दिए उसका कोई अता-पता नहीं है इस बात को हम ने उठाया है, इसमें क्या हुआ जो अब तक चढ़ावा चढ़ा वह कहां गया, इसकी खोज हो और यह सरकारी की जिम्मेदारी है, भगवान राम लला की संपत्ति है इसकी खोज होनी चाहिए। और ऐसा क्यों नहीं हुआ है इसके लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उनको सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों नहीं हुआ। मैं समय से जाता हूं, मेरे सामने दानपात्र खुलता है. मैं लगातार बैठ नहीं पाता इसलिए दो-तीन घंटे में चला चला आता हूं। इसलिए मैंने अपने 2 प्रतिनिधि नियुक्त कर दिए हैं, श्री श्रीनाथ और विश्वनाथ, वह उसकी गणना कराते हैं और अंतिम में जब बंद होता है तो अंत में पता चलता है कि क्या सामान है और क्या नहीं है, जो रुपए-पैसे के बाद का सामान है वब नहीं लिखा जाता दुख इसी बात का है। लिखने की व्यवस्था मजिस्ट्रेट की है, सरकारी व्यवस्था है। ”
राम मंदिर और विवादित परिसर के रिसीवर और फैजाबाद के पदेन कमिश्नर मनोज कुमार की माने तो इस तरह की कोई शिकायत अब तक नहीं मिली है और ना ही इसके पहले पुजारी ने भी इस बाबत कोई शिकायत की थी दानपात्र की गणना के लिए बनी कमेटी में पुजारी भी सदस्य हैं और उसकी गणना उनके सामने ही होती है और रुपए के अलावा जो धातु के सामान मिलते हैं उसे अन्य सामग्री के खाने में दर्ज कर लिया जाता है हालाकि उन्होंने इस व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के साथ साथ रामलला के पूरे आय व्यय की उच्च स्तरीय आडिट कराने की बात की है । इसी के साथ उन्होंने पहली बार यह भी खुलासा किया है कि रामलला के खाते में 5 करोड़ से अधिक की नकदी जमा है और सोने चांदी के साथ अन्य धातु वाली चढ़ावे की सामग्री अलग से है ।