AMU में आरएसएस की शाखा लगने , राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद के आने का विरोध हो सकता है, लेकिन पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना का नहीं। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ हाल (यूनियन हॉल) में आज भी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है। मोहम्मद अली जिन्ना आजादी से पहले 1938 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय आये थे, और उस समय उनको छात्र संघ का आजीवन सदस्य बनाया गया था। महात्मा गांधी भी AMU छात्र संघ के आजीवन सदस्य थे।
आप को बता दे कि AMU की नीवं सन 1875 में सर सय्यद अहमद खान द्वारा मुहम्मद एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज के रुप में रखी गई थी , जो बाद में 1920 में यूनिवर्सिटी बना। सन 1884 में विभिन्न मुद्दों पर डिबेट के लिए एक क्लब की स्थापना की गई जो परिसर में ही स्ट्रेची हॉल में चलता था। इसे कैम्ब्रिज यूनियन सोसाइटी के मॉडल पर ही तैयार किया गया था। 1920 में जब ये यूनिवर्सिटी बनी तब महात्मा गांधी ने यहाँ का दौरा किया और तब के छात्र संघ ने उनको आजीवन सदस्य बनाया। महात्मा गांधी AMU छात्र संघ के पहले आजीवन सदस्य थे। आजादी से पहले सन 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना AMU आये और उनको भी छात्र संघ ने अपना आजीवन सदस्य बनाया।
1947 में भारत दो भागों में बंट गया। बटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सूत्रधार माना गया। उसके बाद से लगातार पकिस्तान और भारत के सम्बन्ध ठीक नहीं रहे। पकिस्तान की लगातार भारत के खिलाफ साजिश और आतंकवादी गतिविधियों ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ाने का काम किया है। अपनी नापाक हरकतों की वजह से पाकिस्तान को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार मुँह की खानी पड़ी है। पाकिस्तान की इन्ही हरकतों के चलते भारत भी पाकिस्तान के साथ किसी भी मंच को साझा नहीं करना चाहता।
AMU में कुछ दिन पूर्व महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आरएसएस का बता कुछ लोगों ने उनके AMU आने का विरोध भी किया था। अभी हाल में ही आरएसएस की शाखा AMU में लगाए जाने का विरोध भी यहाँ किया गया। ऐसे में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंदर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाये रखना क्या सही है।
AMU यूनियन हॉल के अंदर जिन्ना की तस्वीर की जानकारी मीडिया से अलीगढ के सांसद सतीश गौतम को हुई तो उन्होंने आनन् फानन में यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर तारिक मंसूर को एक पत्र लिख दिया, और उनसे पूछा कि AMU में जिन्ना की तस्वीर लगाने की क्या मजबूरी बनी हुई है। वर्तमान में पकिस्तान द्वारा गैर जरूरी हरकतें लगातार जारी हैं, ऐसे में जिन्ना की तस्वीर AMU में लगाए रखना कितना सही है।
AMU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन जिन्ना की तस्वीर AMU में लगाए जाने को गलत नहीं मानते। उनका कहना है कि 1938 मे आजादी से पहले जिन्ना को आजीवन सदस्यता छात्र संघ द्वारा दी गई थी। संसद के अंदर भी जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है। जब वहां तस्वीर लगी हुई है तो यहाँ गलत कैसे। जिन्ना पर सवाल क्यों उठ रहे हैं, जबकि अंग्रेज भी हमारे देश के दुश्मन थे। यहाँ मुगलों को देश में गाली दी जाती है, उनकी बनाई हुई चीजें यहाँ है उस पर सवाल क्यों नहीं उठाते। 1947 में उनको भी तोड़ कर हिंदुस्तानी संस्कृति विकसित करते, क्यों नहीं किया ये।
AMU प्रशासन का पूरे मसले पर कहना है, कि AMU स्टूडेंट यूनियन एक स्वतंत्र संस्था है। उसका AMU प्रशासन से डायरेक्ट नियंत्रण नहीं होता। 1920 से जब यूनिवर्सिटी बनी तब से छात्र संघ के लोग विभिन्न महानुभूतियों को आजीवन सदस्यता देते हैं। पहली सदस्यता गांधी जी को दी गई। वो जो सदस्यता देते हैं उसपर अमुवि प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है। बंटवारे से पहले जब जिन्ना आये थे तब उनको सदस्यता दी गई थी। ये छात्र संघ फैसला करता है। इस मसले पर हम बात करेंगे। सदस्यता पहले दी जा चुकी है, उसको बदला नहीं जा सकता।