धुंडिराज गोविंद फालके जिन्हे पूरी दुनिया दादा साहेब फालके के नाम से जानती है, दादा साहेब का जन्म महाराष्ट्र में हुआ, उन्हे हिन्दी फिल्म जगत का पितामाह माना जाता है । 30 मार्च 1870 में जन्मे दादा साहेब भारतीय फिल्मों के निर्माता, निर्देशक और चलचित्र के लेखक थे । 1913 में उन्होने राजा हरिशचंद्र नाम की फूल लेंथ फिल्म बनाई, गुगल ने भी दादा साहेब के जन्म अवसर पर डूडल बनाकर उन्हे याद किया ।
19 साल के फिल्मी करियर में दादा साहेब ने भारत को 95 फिल्में और 27 शॉर्ट मूवीज दी, दादा साहेब ने अपने जीवन में काफी सघर्षों से जुझना पड़ा लेकिन एक फिल्म उनके लिए टर्निंग प्वाइंट बन गई, वो फिल्म थी द लाइफ ऑफ क्रिस्ट, ये एक मूक फिल्म थी इसे देखने के बाद दादा साहेब के मन में कई विचार उत्पन्न होने लगे और उन्हे भारत के फिल्मी जगत की शुरुवात करने का निर्णय लिया, दादा साहेब ने फिल्म देखने के बाद अपनी पत्नी से कुछ पैसे उधार लिए औऱ 15 हजार के बजट में राजा हरिशचंद्र नामक फिल्म शुरु की ।
बीबसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दादा साहेब ले भारतीय फिल्मों में पहली बार महिलाओं को काम करने का मौका दिया, उनकी फिल्म भस्मासुर मोहिनी में दो महिलाओं को काम करने का मौका दिया जिनका नाम दुर्गा और कमला था । दादा साहेब का निधन 1944 में हुआ, भारतीय फिल्मजगत में उनके ऐतिहासिक योगदान के चलते 1969 में भारत सरकार ने भारतीय फिल्म जगत का सबसे बड़ा अवार्ड दादा साहेब फालके अवार्ड की शुरुवात की । इस पुरुस्कार को भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित और सर्वोच्च सम्मान माना जाता है, सबसे पहले देविका रानी चौधरी को यह पुरुस्कार दिया गया था ।