अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में जूना अखाड़े ने एक दलित संत को धर्मचार्य की बड़ी पदवी देने की घोषणा की है दलित संत कन्हैया कुमार कश्यप दीक्षा और संस्कार के बाद कन्हैया प्रभुनंद गिरी बन गए है सनातन संस्कृति के इतिहास में किसी दलित को महामंडलेश्वर की उपाधि देने का यह निर्णय अखाड़े का पहला निर्णय है हांलाकि अखाड़ों की बैठक के बाद ही उनकी पदवी की घोषणा की जाएगी जूना अखाड़ा के संत पंचानन गिरी के मुताबिक सनातन धर्म में बड़े पैमाने पर कुरीतियां रही हैं जिससे धर्म का पतन हो रहा था उन्होने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की सहमति से ही दलित संत को धर्माचार्य की पदवी देने के लिए उनका संस्कार कराया है। उन्होने कहा कि आने वाले कुम्भ में ऐसे और भी दलित संतों को जो कि योग्य है उन्हें भी धर्माचार्य की बड़ी पदवी दी जाएगी । वहीं कन्हैया कुमार कश्यप से कन्हैया प्रभुनंद गिरी बने दलित संत का कहना है कि उन्होने कभी जीवन में ऐसी कल्पना नहीं की थी कि अनूसूचित जाति से होने के बाद भी बड़े धर्माचार्य के पद पर कभी आसीन हो सकते हैं वैसे तो हिन्दू धर्म के ग्रन्थों में कन्हैया कुमार कश्यप की गहरी रुचि रही है और वो संस्कृति विषय से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 2016 में उज्जैन से सिंहस्थ कुंभ में पंचानन गिरी से दीक्षा लेकर सन्यास लिया था जिसके बाद से ही वो संत जीनव व्यापन कर रहे थे। वहीं अखाड़ा परिषद का मानना है कि सनातन धर्म को बचाने के लिए योग्य दलित को भी धर्माचार्य पद के लिए घोषित किया जा रहा है।