अहमदाबाद में 2002 में हुए नरोदा पटिया नरसंहार केस में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है इस केस में दोषी रही पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी को बरी कर दिया है जबकि बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया गया जहां हाईकोर्ट ने उनकी 21 साल की सजा को बरकरार रखा है। आपको बता दे कि गुजरात दंगे के बाद नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी जबकि 33 लोग घायल हो गए थे इस केस में चली लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पिछले साल ही फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसपर कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। नरोदा पाटिया दंगों की आरोपी माया कोडनानी को बरी कर दिया जिसमे बीजेपी विधायक रही माया कोडनानी के पक्ष में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कोर्ट में गवाही दी थी कि दंगों के वक्त माया कोडनानी विधानसभा में थी आपको बतादे कि माया कोडनानी तीन बार से विधायक है और एक बार सरकार में मंत्री भी रह चुकी है। दरअसल इस केस में एसआईटी स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत कुल 32 को दोषी ठहराया था इस नरसंहार में कुल 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और 33 लोग घायल हो गए थे इस मामले को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए माया कोडनानी को 28 साल की कैद और बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि बाकी सात दोषियों को 21 साल की सजा सुनाई थी और अन्य दोषियों को 14 साल की सजा सुनाई थी जबकि कि सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था ।
दरअसल 1947 के बंटवारे से पहले माया कोडनानी का परिवार पाकिस्तान में रहता था लेकिन बंटवारे के बाद परिवार गुजरात में आ गया था और वहीं रहने लगी इसके बाद माया कोडनानी संघ से जुड़ गई माया पेशे से एक डॉक्टर हैं जहां नरोदा में माया का एक हास्पिटल भी है । बताया जाता है माया कोडनानी को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की काफी नजदीकी हैं इसके बाद वो बीजेपी से जुड गई और 1998 में हुए चुनाव में बीजेपी ने उन्हे टिकट दिया और वह नरोदा से विधायक चुनी गई थी । इसके बाद 2002 में हुए दंगों में उनका नाम सामने आया था लेकिन 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हे फिर से जीत मिली इसके बाद 2007 में हुए गुजरात विधनसभा चुनाव भी जीत गई और उन्हे गुजरात सरकार में मंत्री बनाया गया । उसके बाद बीजेपी में वह अपनी पकड़ मजबूद कर ली । तभी 2009 में नरोदा नरसंहार केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित की जिसके बाद एसआईटी ने माया को पूछताछ के लिए समन जारी किया था और बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई जिसके बाद उन्हे अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा । वहीं गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद उन्हे जमानत पर रिहा कर दिया गया लेकिन मुकदमा चलता रहा और कोर्ट ने नरोदा पटिया केस में माया को दोषी करार दिया उनके उपर दंगाई भीड़ के नेतृत्व करने का आरोप था । फिलहाल माया कोडनानी जमानत पर जेल से बाहर हैं और आज कोर्ट ने उन्हे इस केस से बरी कर दिया है। वहीं कांग्रेस इस फैसले से नाराज है और बीजेपी पर माया को बचाने का आरोप लगा रही है।