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रेपिस्ट का ना कोई धर्म ना ईमान, फिर क्यों बटा हिन्दुस्तान

रेपिस्ट का ना कोई धर्म ना ईमान, फिर क्यों बटा हिन्दुस्तान

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कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुई हैवानियत ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया, हर जगह जस्ट्रिस फॉर आसिफा के नारे लग रहे है, जगह जगह केंडल मार्च निकाले जा रहे हैं, लेकिन सिर्फ आसिफा के लिए जस्ट्रिस की मांग क्यों, हम ये नहीं कहते ये गलत है, आसिफा के साथ हुई दरिंदगी का हम सभी पुरजोर विरोध कर रहे हैं, जो हुआ बहुत गलत हुआ, लेकिन आसिफा के साथ हुई दरिंदगी के बाद सूरत, तेंलगाना, रोहतक में भी नन्ही बच्चियों के साथ हैवानियत हुई, रोहतक की एक नहर में एक बच्ची को किसी ने मारकर नहर में फेक दिया, पुलिस का कहना था कि बच्ची के साथ कुछ गलत नहीं हुआ पर बच्ची के प्राइवेट पार्ट बाहर निकले हुए थे, और बच्ची के एक हाथ का पंजा भी गायब था । लेकिन किसी का इस ओर ध्यान नहीं गया आसिफा एक मुस्लिम लड़की थी इसलिए सप्रदायिकता को देखते हुए इस खबर को हाई लाइट की गई राजनेता अपने वोटबैंक बढ़ाने के लिए इसपर सियासत कर रहे हैं । आसिफा केस में सियासत गरमा रही है, चारों तरफ इसकी निंदा हो रही है, हिन्दू धर्म को गाली दी जा रही है, मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है कि मंदिर में ये सब कुछ हुआ ।

लेकिन आपको बता दें दिल्ली के नरेला में पुलिस ने एक 70 साल के मदरसे के टीचर को 9 साल की मासूम के साथ रेप करने के आरोप में गिरफ्तार किया है, बच्ची इस समय दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल में भर्ती है । तो वहीं औरंगाबाद क् नांदेड में एक मदरसे के मौलवी ने 12 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया, जबकि दूसरी बच्ची के साथ छेड़छाड़ की, पर मौलवी को सरक्षंण देने के लिए स्थानिय नेताओं ने पीड़ित बच्ची की माँ पर केस न करने का आरोप लगाया, और वो नेता कोई हिंदू नेता नही थे, वो भी मुस्लिम थे, तो रेप जैसी जघन्य अपराध को किसी धर्म से जोड़ना सही नही है, रेपिस्ट का कोई धर्म, कोई इमान नही होता, देश की अखण्डता को खण्डित करने के लिए इसे धर्म का चोला पहना दिया जाता है ।

भारत में हुए एक सर्वे के मुताबिक देश में हर 18 मिनट में एक महिला या बच्ची के साथ रेप की घटना घटित होती है, लेकिन इनमें कुछ ही एसी घटनाएं उजागर हो पाती है, समाज, परिवार की प्रतिष्ठा, दबाव की वजह से कई महिलाएं शोषित होते हुए कुछ नही कह पाती, महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाली ऐसी अमानवीय घटानाओं का लोगों को पता चलता है, तो लोग इसका अफसोस करते है, दुख व्यक्त करते है, लेकिन कुछ ही दिनों में लोग इसे भूल जाते हैं, और एक बार फिर किसी अनहोनी का इंतजार करने लग जाते है । जब किसी महिला या बच्ची के साथ रेप होता है तब कुछ लोग कहते है ऐसे लोगों को फांसी दे देनी चाहिए, इन्हे जीने का कोई हक नहीं पर कुछ ही दिनों में लोगों का गुस्सा शांत हो जाता है, और वो उस महिला को इंसाफ दिलाने की राह में अकेला छोड़ कर चले जाते हैं ।

नोएडा से हिन्द न्यूज़ टीवी के लिए नरेश तोमर

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