2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान दलित आंदोलन में भड़की हिंसा आगजनी तोड़फोड़ पथराव ने जहां समाज में अशांति पैदा कर दी है, वहीं जनपद मुजफ्फरनगर में इस हिंसा में थाना भोपा क्षेत्र के गांव गादला निवासी एक दलित युवक अपनी जान गवा बैठा है । जिस पर अब राजनीति होना शुरु हो गई है, जिसके चलते राजनेताओं का मृतक दलित युवक के घर पहुंचने लगे हैं, इसी कड़ी में रविवार को राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी मृतक अमरेश के गांव गादला पहुंचे, जहां उन्होंने मृतक को श्रद्धांजलि देते हुए, मृतक के परिजनों के दर्द को बांटे जयंत चौधरी ने इस मामले को सरकार की लापरवाही का नतीजा करार दिया ।
इस दौरान जयंत चौधरी ग्रामीणों से भी मिले, जहां उन्होंने ग्रामीणों के बीच कहा कि, दो तारीख को जो भारत बंद और एक विरोध प्रदर्शन पूरे देश भर में हुआ है, उसके बड़े दुखद परिणाम सामने आए । जंयत ने कहा कि मैने अमरेश के परिजनों से बात चीत की हैं, वो लोग गरीब हैं मजदूरी का काम करते हैं, मृतक भी काम करने गया था और हिंसा की चपेट में आ गया । प्रशासन खुद को बचाव के लिए और ये साबित करने के लिए की कमी सरकार की नही है, वो निर्दोष लोगों को परेशान कर रही है, यंहा लोग डर रहे है क्योंकि लोगों को लगता है कि, गांव में पुलिस दबिश डालेगी, और किसी को भी उठाकर ये कहेगी की हिंसा में शामिल था । मैं इनके बीच मे आया हूँ, मैं लोगों को समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि, कांग्रेस पीड़ित लोग के साथ खड़ी है, और इन्हें न्याय दिलाने की हम पुरजोर कोशिका करेंगे, हिंसा किसी को अच्छी नहीं लगती ये जो समाज मे बंटवारे है, ये खत्म होने चाहिए, लेकिन ये हमे समझना होगा कि, आज भी समाज मे जातिगत आधार पर शोषण होता है । आज भी जो दलित गरीब है, वो अपने आप को मुख्य धारा में नहीं मानता, आरक्षण के जितने पद है, वो आज तक भरे क्यों नहीं गए, उतनी नियुक्तियां सरकार क्यों नही करा पाई, और जब इतने गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट डिसीजन ले रहा था, तो संविधान के बचाव के लिए सरकार आगे क्यों नही आई । ये सरकार की कमजोरी है, जब जब सरकार कमजोर होती है तो सुप्रीम कोर्ट इस तरह के फैसले लेते है, ।
कोई ऐसा फैसला ले कि उनके कंधो पर ये बंदूक रखकर गोली चलाना चाहते थे, निशाना था देश का दलित और यही नहीं जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, लग रहा था कि डिसीजन इनके खिलाफ आएगा, उसके बाद भी कई दिन तक ना तो प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट किया और ना ही कोई बयान दिया, ना ही किसी भारतीय जनता पार्टी के दलित नेता ने बयान दिया कि, सरकार दलितों के साथ है, यह फैसला कोर्ट का है सरकार का नहीं है, और सरकार इस फैसले को नहीं मानेगी, आगे हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे इतना ही कह देते तो यह आंदोलन नहीं होता, लोग सड़कों पर नहीं उतरते यह गरीब परिवार है, लड़का मेहनत कर रहा था और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ रहा था, अपने परिवार की परवरिश के लिए मेहनत करता था ।
इससे ज्यादा गुण किसमें है अब आप इस आदमी को कह दो कि दंगाई था या झगड़ा करने वाला था या राष्ट्रद्रोही सच्चाई तो सबके सामने है, मैं इनके पिताजी और बहन से मिला हूं और मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे दल के कार्यकर्ता इस परिवार पर नजर रखेंगे और उनको न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।
हिन्द न्यूज़ टीवी के लिए मुजफ्फरनगर से विशाल प्रजापति