1997 में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एक 18 साल के लड़के आमिर को गिरफ्तार किया था, लेकिन जनवरी 2012 में कोर्ट ने आमिर को बेकसूर बताते हुए बरी कर दिया था, लेकिन आमिर को अपनी जिंदगी के खुबसूरत 14 साल जेल की सलाखों के पीछे गुजारना पड़ा, आमीर पर पुलिस ने बम ब्लास्ट समेत 18 केस लगाए गए थे । अपने आपको बेगूनाह साबित करने के लिए मोहम्मद आमीर को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, आमिर के माथे पर आतंकवादी के नाम का ठप्पा लग चुका था, लेकिन आमिर की हिम्मत और विश्वास ने इसी जीत दिलाई है ।
यह पहला मौका है जब दिल्ली पुलिस ने अपनी गलती को मानते हुए किसी को मुवावजा दिया है, आमिर को दिल्ली पुलिस को 5 लाख का मुवावजा दिया गया है । आमिर को इंसाफ दिलाने के पीछे राष्ट्रीय मानवधिकार का बहुत बड़ा हाथ रहा है, आमिर को मुवावजा NHRC के आदेशों के बाद दिया गया है, आयोग ने मीडिया में चल रही खबरों को संज्ञान में लेते हुए गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को 2015 में मुवावजा देने के लिए आदेश दिया था । मुवावजे को हुई देरी को लेकर NHRC ने दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली पुलिस प्रमुख को एक समन भी जारी किया था ।
लेकिन मुवावजे की प्रतिक्रिया देते हुए आमिर ने कहा कि उसके परिवार को जो बदनामी झेलनी उसकी कोई भरपाई नहीं कर सकता लेकिन उन्होने जो इंसाफ के लिए लंबी लड़ाई लड़ी वो बहुत बड़ी बात है ।