जहां एक ओर केन्द्र व राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए नई नई योजनाओं पर कार्य कर रही है,और भ्रष्टाचार को दूर करने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर हम आपको शिक्षा विभाग में फैली उस हकीकत से रूबरू कराते हैं, जिसमें शिक्षक खुद ही भ्रष्टाचार का शिकार बन रहे हैं, दरअसल ताजा मामला यूपी के बस्ती का यह है कि मोदी सरकार ने प्राईवेट स्कूलो में बतौर शिछक का कार्य कर रहे टीचरों को दो साल की ट्रेनिंग का कोर्स करना अनिवार्य कर दिया है, जिसे लेकर प्राईवेट स्कूलों के अध्यापक आनलाईन आवेदन करने के बाद निर्धारित सेंटरो पर टीचिंग के गुण सीखने पहुंच रहे हैं, मगर यहां भी भ्रष्टाचारी उनका शोषण करने से नहीं चूक रहे, एनआईओएस के तहत होने वाली टीचर ट्रेनिंग के लिये अभ्यर्थियों से एसाईनमेंट के नाम पर 10000 से 15000 रु की अवैध वसूली की जा रही है, छात्रों ने यह भी आरोप लगाया है कि डर दिखाने के लिए प्रबंधक अशलहे का भी प्रयोग कर रहे हैं, अतः महिला अभ्यर्थियों से छेडखानी तक की जाती है।
वहीँ कुछ छात्राओं ने मीडिया से बताया कि प्रबन्धक गलत नियत से उन्हें अपने ऑफिस में बुलाते थे और नंबर बड़वाने के नाम पर उनका फायदा उठाने का प्रयास करते थे।
इस मामले पर जब डायट के प्राचार्य आरवीएस चौहान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच कर कठोर से कठोर कार्यवाही करेंगे।
फिलहाल शिक्षा विभाग अपने को लाख पाक साफ होने की बात कहें, पर जो भ्रष्टाचार का दीमक शिछा विभाग में फैल चुका है, वो विभाग को लगातार खोखला करता जा रहा है।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए बस्ती से सतीश श्रीवास्तव