संसद का बजट सत्र का समापन होने के साथ ही इस बार पूरी तरह से हंगामे की भेट चढ़ गया । और जनता के 190 करोड़ रुपये स्वाहा हो गये । बीते सभी रिकार्ड को तोड़ते हुए कामकाज के लिहाज से संसद का सबसे खराब सत्र माना जा रहा है। संसद का बजट सत्र 2018-19 के बजट सत्र 5 मार्च से शुरु हुए और 6 अप्रैल को खत्म हो गया जो कि कुल 23 बैठकें निर्धारित की गई थी लेकन एक भी बैठके नहीं हुई वहीं पहला हिस्सा 29 जनवरी से शुरु होकर 9 फरवरी तक चला जिसमे सिर्फ 8 बैठके हुई जबकि बजट सत्र में कुल 31 बैठकें तय की गई थी। इस दौरान लोकसभा में 28 विधेयक पेश किये जाने थे तो वहीं राज्यसभा में 39 विधेयक शामिल थे लेकिन लोकसभा में सिर्फ 5 विधेयक ही पारित किए जा सके तो वहीं राज्यसभा से सिर्फ एक ग्रेच्युटी बिल संशोधन विधेयक ही पारित हो सका तो वहीं कामकाज के हिसाब से अबतक का सबसे हंगामेदार सत्र रहा सत्र की कार्यवाही के दैरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में लगातार गतिरोध की स्थिति रही जिससे सत्र को एक दिन में कई बार स्थगित करना पड़ा । जिससे संसद का पूरा सत्र ही हंगामे की भेट चढ गया इस सत्र को चलाने में अबतक 190 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए है इसमे सांसदो के वेतन-भत्ते एवम अन्य सुविधाओं और कार्यवाही से संबधित इंतजाम पर खर्च शामिल है। तो क्या जनता के इन पैसे का कोई किमत नहीं है या फिर सांसदों को मिल रही भारी भरकम सैलरी से पर जनता का हक नहीं है। तो एक तरफ जहां देश भूखमरी से कई लोगों मौत से जूझ रही है और किसाना कर्ज में डूबा खुदकुशी करने को मजबूर हो रहा है वहीं संसद में बैठे सांसद करोड़ों रुपये एक दूसरे पर आरोप लगाने में उड़ा दे रहें हैं। इस बार का बजट सत्र बीते सभी रिकॉड तोड़ते हुए कामकाज के लिहाज से संसद का सबसे खराब सत्र माना जा रहा है ।