पूरे देश में एक अप्रैल से इलेक्ट्रॉनिक वे बिल यानि ई-वे बिल लागू होने जा रहा है लेकिन अभी तक सिर्फ 11 लाख लोगों ने ही इस पर रजिस्टेशन कराया है जबकि जीएसटी टैक्सपेयर्स का बेस 1 करोड़ से भी अधिक है ऐसे में सरकार की चिंता बढना लाजमी है वित्त विभाग के अनुसार ई-वे बिल को टैक्स चोरी रोकने का अचूक तरीका कहा जाता है गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद सरकार ने स्पष्ट किया था कि एक अप्रैल से ई-वे बिल लागू करेगी जिससे टैक्स में पारदर्शिता लाया जा सके । वहीं सरकार यह मानकर चल रही है कि कैश में होने वाली चोरी पर लगाम लगाने से उनके टैक्स बेस में इजाफा होगा इसी के मद्देनजर सरकार ने ई-वे बिल को लागू करने के लिए गंभीर है जबकि अभी भी 90 लाख टैक्सपेयर्स रजिस्ट्रेशन कराना बाकी है । वहीं जीएसटीएन पर भी काफी दबाव होगा पिछले एक अप्रैल को इसकी लॉन्चिंग फेल होने के बाद से ही एनआईसी ने इसे मजबूत किया है वहीं सरकार का दावा है कि अब यह 75 लाख इंटर-स्टेट ई-वे बिल डेली हैंडल कर सकता है इसके बावजूद सरकार का मानना है कि अगर लोग रजिस्ट्रेशन के लिए आ जाएं तो जीएसटीएन पर जबर्दस्त दबाव होगा गैरतलब है कि जीएसटी लागू होने से सरकार को राजस्व का काफी फायदा हुआ है। केंद्र सरकार इसकी पुष्टि भी कर चुकी है ।