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60 साल बाद नवरात्रि में नवमी गायब

पिछले दिनों कई बाबाओं के द्वारा गलत और राष्ट्र विरोधी कार्य करने का मामला सामने आया, जिसके बाद से संत समाज में खलबली मची हुई है। वहीं फर्जी बाबाओं का चेहरा अब समाज के सामने लाने के लिए देश में रजिस्टर्ड अखाड़ाओं के बाबाओं ने फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी कर अपने समाज के अंदर फैली गंदगी को दूर करने का काम किया है। गाजीपुर के सिद्धपीठ हथियाराम मठ जो जखनिया तहसील के बुढ़नपुर गांव में स्थित है, इस मठ से संबंधित माँ काली का मंदिर हरिहरपुर हाला गांव में स्थिति है । जहां पर चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही हथिराम मठ के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज जन कल्याण के लिए पूजा अर्चना में लगे हुए हैं ।

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पिछले दिनों कई बाबाओं के द्वारा गलत और राष्ट्र विरोधी कार्य करने का मामला सामने आया, जिसके बाद से संत समाज में खलबली मची हुई है। वहीं फर्जी बाबाओं का चेहरा अब समाज के सामने लाने के लिए देश में रजिस्टर्ड अखाड़ाओं के बाबाओं ने फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी कर अपने समाज के अंदर फैली गंदगी को दूर करने का काम किया है। गाजीपुर के सिद्धपीठ हथियाराम मठ जो जखनिया तहसील के बुढ़नपुर गांव में स्थित है, इस मठ से संबंधित माँ काली का मंदिर हरिहरपुर हाला गांव में स्थिति है । जहां पर चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही हथिराम मठ के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज जन कल्याण के लिए पूजा अर्चना में लगे हुए हैं ।

उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि, नव दिन अगर सिर्फ पूजा कर रहे हैं, तो निर्जला कर सकते हैं, अगर इसके साथ काम धंधे भी करना हो, तो उन्हे अच्छा फलाहार भी लेना चाहिए, क्योंकि शरीर बिना अन्न के नहीं चल सकता। उन्होंने बताया कि साल में तीन महानिशाएं होती हैं, यह महानिशाएं महारात्रि होती है। इस बार नवरात्रि में एक दिन कम है, पहले भी कईबार एक दिन कम हुए हैं, लेकिन कभी षष्ठी, सप्तमी या अष्टमी की हानि हुई हैं। लेकिन इस बार नवरात्रि में नवमी की हानि हुई है। नवमी ही नवरात्रि की जान होती है। इसबार नवरात्र थोड़ा कमजोर है, इसलिए उपासना करने से शक्ति आएगी।

वहीं उन्होंने फर्जी बाबाओं पर कहा कि, समाज में अपने वैदिक धर्मों के हिसाब से अलग अलग शाखाएँ हैं, इसमें जुना अखाड़ा, निरंजनी, पंचसमुह, उदासीन, निर्मोही समेत कुल 13 रजिस्टर्ड अखाड़े हैं। जो सन्यासियों के मान्यता प्राप्त हैं, हजारों साल की परंपराएं अखाड़ों में विद्यमान हैं। अखाड़ा एडमिनिस्ट्रेटिव पावर होता है। कोई बाबा बनता है तो पावर के लिए नहीं बनता, बाबा बनने का जीवन में दो ही लक्ष्य हैं। एक मोक्ष प्राप्त करना और दूसरा समाज का हित करना, लोक हित के लिए जीवन समर्पित करने वाला संत होता है। आत्म मार्ग पर मोक्ष प्राप्त करने वाला भी संत होता है, जो आत्म कल्याण के लिए काम कर रहा है, आज संत समाज जहां जाता है, वहा लोग यही कहते हैं कि ये फर्जी बाबा है। समाज को किसी से नफरत नहीं, लेकिन जब समाज को गलत दिखा, तो उन्होंने उंगली उठानी शुरू कर दी।

हिन्द न्यूज के लिए गाजीपूर से सुनील सिंह

 

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