यूपी में सरकार को बदले लगभग एक साल हो गए हैं, इस एक साल के भीतर सूबे के मुख्यमंत्री बदले, डीजीपी बदले, आईजी, डीआईजी बदले, रोज सरकार नई ट्रांसफर लिस्ट जारी कर रही है, लेकिन इन सब के बावजूद जो चीज़ नहीं बदली, वो है यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली । क्योंकि यूपी पुलिस ने तो मानों कसम खा रखी है, कि हम नहीं सुधरेंगे, यूपी में भले ही योगी राज आ गया हो, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । मामला कानपुर पुलिस का है जो अपने काम के प्रति कितनी लापरवाह है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, 14 मार्च को चोरों ने कानपुर शहर के चकेरी क्षेत्र में एक घंटे के अंदर गैस कटर की मदद से तीन आटोमेटेड ट्रेलर मशीन (ATM) से 16 लाख रुपये पार कर दिए, और घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस के हाथ अपराधियों तक पहुंचने मे नाकाम साबित हुए हैं । एक तरफ तो घटना के बाद एसएसपी ने खानापूर्ति करते हुए काम पर लापरवाही बरतने के आरोप में छः पुलिसकर्मियों के अलावा सब इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया था, और आला अधिकारियों को आदेश दिया था कि, इस मामले में जो भी आरोपी हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, लेकिन अभी तक इस मामले में पुलिस सिर्फ तलाशी अभियान और पूछताछ कर रही हैं।
शहर में एटीएम और कैश चोरी की इससे पहले भी कई वारदातें हो चुकी हैं, हर वारदात के बाद पुलिस अधिकारी निर्देश देते हैं कि, एरिया में गश्त बढ़ाई जाए, इसके बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं । पुलिस और क्राइम ब्रांच एटीएम चोरी की वारदात रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं । शुरुआती जांच में सामने आया था कि, वारदात के पीछे 2 गिरोह सक्रिय हैं, लेकिन अब तक कोई गिरोह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका है । अब सवाल ये उठता है कि, क्या पुलिस वालों के लिए जनता के पैसे की कोई अहमियत नहीं है ? इसलिए लाखों की चोरी के बाद भी पुलिस अभी तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ तमाशबीन बनी हुई, है या ये कहें कि पुलिस का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हो रहा है।
हिन्द न्यूज के लिए कानपुर से राघवेंद्र सिंह