काशी में आने वाला हर शख्स यहां की संस्कृति और सभ्यता के साथ पूरी तरह से हिल मिल जाता है, भारतीय परंपरा के अनुरूप भगवान की भक्ति में लीन होकर सब कुछ भूल जाता है, कुछ ऐसा ही जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टन के साथ देखने को मिला । शाम करीब 6:15 बजे अस्सी घाट से बजड़े पर सवार होकर जर्मन राष्ट्रपति और जर्मन दूतावास के अधिकारियों ने नौकाविहार शुरू किया, और लगभग 15 मिनट गंगा की सैर करते हुए दशाश्वमेध घाट पहुंच गए । जहां पर उनके आगमन से कुछ देर पहले शुरू हो चुकी गंगा आरती की भव्यता को देखकर वह भी आश्चर्यचकित हो गए, घाट पर अतिथि के स्वागत में काशीवासियों ने हर हर महादेव के उद्घोष से किया।
गुरुवार शाम लगभग 7:00 बजे जर्मनी के राष्ट्रपति दशाश्वमेध घाट पर पहुंचे, और यहां होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल हुए। राष्ट्रपति के आगमन के मद्देनजर दशाश्वमेध घाट को देव दीपावली के तर्ज पर सजाया गया था, माला फूल और भव्य लाइटिंग के साथ 9 ब्राह्मणों ने मां गंगा की भव्य आरती उतारी, और देव दीपावली के तर्ज पर ही गंगा आरती कर रहे ब्राह्मणों के पीछे रिद्धि सिद्धि स्वरुप में 18 कन्याएं भी खड़ी थी।
जर्मन राष्ट्रपति के आगमन से पहले घाट पर दीयों को बड़ी ही खूबसूरती से सजाया गया था, जिसकी वजह से नजारा बिल्कुल दिवाली के जैसा लग रहा था, लगभग 45 मिनट से ज्यादा जर्मनी के राष्ट्रपति गंगा आरती में मौजूद रहे। गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि की तरफ से अतिथि के लिए खास इंतजाम किए गए थे, अपने खास मेहमान को खास तरीके से गंगा आरती का दर्शन कराने के लिए उसी जगह को चुना गया था, इस दौरान जर्मन राष्ट्रपति ने गंगा आरती की भव्यता को अपने मोबाइल कैमरे में भी कैद किया।
गंगा आरती खत्म होने के बाद गला सेवा निधि की तरफ से अपने खास मेहमान को मां गंगा का प्रसाद, अंगवस्त्रम, रुद्राक्ष की माला और खास तौर पर तैयार किया गया, मोमेंटो देकर उनकी काशी यात्रा को यादगार बनाने की कोशिश की गई, इससे पहले जर्मनी के राष्ट्रपति ने अस्सी घाट से दशाश्वमेध घाट तक नौकाविहार कर गंगा चल घाटों की सुंदरता को निहारा और काशी की खूबसूरती के कायल हो गए।
हिन्द न्यूज के लिए वाराणसी से काशी नाथ शुक्ला