You are here
Home > राष्ट्रीय समाचार > दुनिया का दूसरा शहर बन जायगा बेंगलुरु, जहां पीने का पानी हो जाएगा खत्म

दुनिया का दूसरा शहर बन जायगा बेंगलुरु, जहां पीने का पानी हो जाएगा खत्म

बेंगलुरु की पानी से जुड़ी परेशानियां?

Share This:

आज वर्ल्ड वॉटर डे है। रिपोर्ट्स की मानें तो आने वाले कुछ ही दिनों में केपटाउन में पानी खात्मे की कगार पर पहुंचने वाला है। इसे ‘जीरो डे’ नाम दिया गया है। हालांकि, ये खतरा सिर्फ केपटाउन पर ही नहीं है। यूएन की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में ब्राजील के साओ पाउलो और भारत के बेंगलुरु में पानी की किल्लत का खतरा सबसे ज्यादा होगा। जहां केपटाउन और साओ पाउलो में ये खतरा सूखे की वजह से पैदा होगा, वहीं बेंगलुरु में ये परेशानी खुद इंसानों की खड़ी की गई है। पानी से जुड़े मुद्दों पर काम करने  रिपोर्ट बताती है कि किस तरह दुनिया के लाखों लोग रोज पानी की कमी से लड़ रहे हैं।

एशिया में पानी को लेकर हालात सबसे खराब

रिपोर्ट के मुताबिक, युगांडा, नाइजर, मोजांबिक, भारत औऱ पाकिस्तान उन देशों में हैं जहां सबसे ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्हें आधे घंटे का आना-जाना किए बगैर साफ पानी नसीब नहीं हो पाता।

भारत में 16.3 करोड़ लोग साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। पिछले साल ये आंकड़ा 6 करोड़ 30 लाख लोगों का था।

आंकड़ा बढ़ने की वजह ये है कि वो लोग जिन्हें अपने घर तक पानी लाने में आधे घंटे लगते हैं, उन्हें यूएन के नियमों के मुताबिक पानी की पहुंच वाले लोगों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता।

इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी  का क्या कहना हे

– वॉटरएड इंडिया के मुख्य कार्यकारी, वी.के. माधवन का कहना है, “दुनियाभर में बगैर साफ पानी के गुजारा करने वाले 84.4 करोड़ लोगों में से 16.3 करोड़ अकेले भारत में मौजूद हैं। मतलब साफ है कि भारत का अपने लोगों तक साफ पानी पहुंचाने का सीधा असर वैश्विक लक्ष्य की सफलता पर पड़ेगा।”यह कहना हे   वॉटरएड इंडिया के मुख्य कार्यकारी, वी.के. माधवन का

– “सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना को दुरुस्त करने के साथ ही 2022 तक भारत के 90% गांवों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का जो लक्ष्य रखा है, उसे अच्छा कदम कहा जा सकता है। पिछले 15 सालों में भारत 30 करोड़ लोगों तक साफ पानी पहुंचाने में कामयाब रहा है।”

बेंगलुरु में 79% तक खत्म हुए तालाब

– वर्ल्ड वॉटर डे से एक दिन पहले सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की एक मैगजीन में बैंगलोर को उन 10 शहरों में जगह दी गई है, जहां जल्द ही लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा।

– ‘डाउन टू अर्थ’ नाम की मैगजीन में दावा किया गया है कि बीते कुछ सालों में बिना प्लानिंग के शहरीकरण और गांवों में अतिक्रमण की वजह से बेंगलुरु के 79% तालाब खत्म हो चुके हैं। वहीं मानवनिर्मित इन्फ्रास्ट्रक्चर 1973 के 8% के आंकड़े से बढ़कर 77% हो गया।

– सीएसई ने बताया है कि बीते दो दशकों में बेंगलुरु का वॉटर टेबल (जमीन का जलस्तर) 10-12 मीटर से बढ़कर 76-91 मीटर तक नीचे चला गया है। वहीं, बीते 30 सालों में पानी निकालने के लिए खुदे हुए कुंओं की संख्या 5 हजार से बढ़कर 4.5 लाख पहुंच गई है।

सबसे बड़ी वजह जो  बेंगलुरु में हे आगे देश के बाकि हिस्सों में भी देखी  गयी 

2012 में शहर की जनसंख्या 90 लाख थी। 2018 में ये आंकड़ा 1 करोड़ 10 लाख पहुंच गया है। पानी के स्त्रोतों पर दबाव बढ़ा है।

2018 में प्रति व्यक्ति/प्रतिदिन 100 लीटर पानी मौजूद है। कर्नाटक सरकार के मुताबिक, 2031 तक प्रति व्यक्ति एक दिन में सिर्फ 88 लीटर पानी ही इस्तेमाल कर पाएगा।

जनसंख्या के बढ़ने से पिछले कुछ सालों में बेंगलुरु के आसपास के करीब 100 गांव खत्म हुए। इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ने से पेड़-पौधों की कमी से बारिश के पैटर्न में भी बदलाव दर्ज किया गया।

. रखरखाव

फैक्ट्रियों के कचरे से तालाबों में खराब होती पानी की क्वालिटी इसकी कमी की बड़ी वजह होगी। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 में बेंगलुरु के 300 तालाबों में से अब सिर्फ 180 के लगभग तालाब ही बचे हैं। इनमें से भी सिर्फ 85% पानी ही साफ और सिंचाई के लायक बचा है।

पानी की आपूर्ति अभी बोरवेल के जरिए होती है। जितनी मांग बढ़ेगी उतना ग्राउंडवॉटर लेवल में कमी आएगी।

मीडिया  की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरुवासी पीने लायक पानी में से आधा बर्बाद कर देते हैं।

पानी के लिए होगा एक और विश्व यूद्ध यह सच होता दिख रहा हे अगर समय रहते हम इंसानो ने पानी की बर्बादी न रोकी ,

Leave a Reply

Top