त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराए जाने के बाद कई हिंदू संगठनों और नेताओं ने तमिलनाडु में पेरियार की मूर्तियां गिराने की मांग तेज कर दी और ये मांग पहले भी होती रही है आखिर कौन है पेरियार और इन्हे क्यों हिंदू विरोधी कहा जाता था ये जानते हैं… ई.वी रामास्वामी यानि पेरियार ने पूरी जिंदगी हिंदू धर्म और ब्राह्मणवाद का जमकर विरोध किया उन्होने तर्कवाद , आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दे पर जोर दिया जाति प्रथा का घोर विरोधी थे पेरियार यूनेस्को ने अपने उद्धाहरण में उन्हे नए युग का पैगम्बर तो दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात एवम समाज सुधारक आन्दोलन का पिता बताया था। पेरिया तमिल राष्ट्रवादी , राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे उनके प्रशंसक उन्हे सम्मान देते थे पेरियार का मतलब होता है पवित्र आत्मा या सम्मानित व्यक्ति पेरियार ने द्रविड आन्दोलन शुरु किया था और जस्टिस पार्टी भी बनाई वो एक धार्मिक हिंदू परिवार में पैदा हुए लेकिन ब्रह्मणवाद के घनघोर विरोधी रहे उन्होने न केवल ब्राह्मण ग्रंथों की होली जलाई बल्कि रावण को अपना नायक भी माना । वो हिंदू महाकाव्यों तथा पुराणों की परस्पर विरोधी थे वो बाल विवाह , देवदासी प्रथा , विधवा पुनर्विवाह के और स्त्रियों तथा दलितों के शोषण के खिलाफ थे उन्होने हिंदू वर्ण व्यवस्था का बहिष्कार किया और हिंदू धर्मग्रंथों को जलाया भी वो जीवन भर रुढिवादी हिंदूत्व का विरोध करते ही रहे साथ ही हिंदी के अनिवार्य पढाई के भी घनघोर विरोधी रहे । तो सवाल ये है जो पेरियार पूरी तरह से हिंदू विरोधी रहे धर्मग्रंथों को जलाया उन्हे इतना सम्मान क्यों दिया जा रहा है ।