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जिंदगी नाकामनियो के नाम हो , इससे पहले कोई अच्छा काम हो “

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तुराज चाहते है मोहब्बत की फ़िजा …

आसमोहम्मद कैफ़

मुज़फ्फरनगर/सम्भलहेड़ा । अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शायर ,गीतकार ,पटकथा लेखक और निर्देशक एएम तुराज मुजफ्फरनगर जनपद के मीरापुर थाना क्षेत्र के एक गुमनाम से गाँव सम्भलहेड़ा के रहने वाले हैं , डेढ़ दशक पहले मुम्बई चले जाने वाले तुराज इस वक़्त बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली लेखकों में एक है , उन्होंने 34 फिल्मों में गीत लिखे है ,जिनमे कई सुपरहिट हुए है , विदेश में रहने के कारण तुराज इस बार ईद पर घर नही आ सके थे , शुक्रवार को वो अपने गाँव आये तो capitalstories.com को के लिए हमने उनसे बात की , पेश है उनसे की गयी बातचीत …..

आजकल आपकी ‘पद्मावती ‘ को बहुत बात हो रही है ,सुना है सभी गाने आपने लिखे है !

पद्मावती बॉलीवुड के इतिहास की सबसे महंगी फिल्म है ,जिसका बजट 200 करोड़ है , फिल्म में कुल 9 गाने है ,सभी मैंने लिखे है , ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म हर लिहाज से ऐतिहासिक साबित होगी

भंसाली के साथ आपकी काफी पट रही है  गुजारिश ,बाजीराव मस्तानी और अब पद्मावती!

संजय लीला भंसाली बॉलीवुड के सबसे आलातरीन निर्देशक है , कमाल उनकी प्रतिभा है और कमाल ही उनकी प्रतिभा पहचानने की काबिलयत , सांवरिया में मैं नही लिख पाया था , गुजारिश और बाजीराव मस्तानी में वो कमी पूरी हो गई ।

गुजारिश में आपने 2 गीत लिखे ,बाजीराव मस्तानी में 4 और पद्मावती में 9 !

हाँ भंसाली जी का मेरे पर भरोसा बढ़ गया , गुजारिश का ‘ये तेरा जिक्र है जैसे इत्र है  जब जब करता हूं महकता हूँ ,लिखने के बाद उनका मेरी और रुझान बढ़ा ,फिर बाजीराव मस्तानी का ‘तुझे याद कर लिया है आयत की तरह ‘ हर तरफ छा गया और उसे अवार्ड भी मिला , पदमावती का हिस्सा बनना एक गौरव की बात है।

एक बार आपपर एक गीत लिखने पर 100 करोड़ का मानहानि का दावा किया था क्यों !

प्रकाश झा साहब ज्वेलंत मुद्दो पर फिल्म बनाते है 2011 में एक ऐसी ही फिल्म आयी ‘चक्रवयूह ‘ ।
फिल्म नक्सली समस्या पर बनी थी , इसका अभय देओल पर फिल्माया गया एक गाना सुपर डुपर हिट हो गया गाने के बोल थे “महंगाई ने इस देश का भट्टा बैठा दिया चले हटाने गरीबी ,गरीबो को ही हटा दिया ,गरीबो  के खून से इनका इंजन चले धकाधक , आम आदमी की जेब देखो हो गयी है सफाचट ,बिरला हो अम्बानी हो या हो टाटा ,सब ने मिलकर अपने चक्कर में गरीबो को है काटा ‘ इस बाद की लाइन को आधार बनाकर यह बड़े घराने नाराज हो गए और हम सबके खिलाफ अदालत चले गए , बाद में सब ठीक हो गया।

34 फिल्में सैकड़ो गाने आप लिख चुके है,कुछ फिल्मों की कहानी भी लिखी है , वह कौन सा गीत है जिसका आपपर गहरा असर पड़ा !

बाजीराव मस्तानी का ‘ आयात की तरह ‘ मैं खुद नही जानता यह कैसे लिख दिया गया , आप दो लाइन देखिये “तुझे याद कर लिया है आयत की तरह ,
कायम तू हो गई है रिवायत की तरह ,मरने तलक रहेगी आदत की तरह ” यह सब अल्लाह का करम है।

आजकल आप मुशायरा का भी आप सबसे महंगा चेहरा है !

महंगा ? नही नही ! बस लोगो को मोहब्बत है , थोड़ी फ़िल्मी दुनिया का असर है ,और विदेशों में पढ़ रहा हूं ,इसलिए लोग कहते होंगे ,वैसे मैं तो किसान का बेटा गाँव का आदमी हूँ , अभी कुछ दिन पहले अमेरिका में जावेद अख्तर साहब के साथ गया था , तो लोगो की मुहब्बतों ने अपनेपन का अहसास कराया था ,पैसा जरूरत की चीज है इससे ज्यादा नही ।

आजकल मुशायरो की लोकप्रियता में कमी आ गयी है !

हाँ आजकल लोग तमाशा ज्यादा कर रहे हैं कलाम कम पढ़ रहे हैं , मुशायरों के स्तर में गिरावट आयी है ,अच्छी शायरी की जगह भीड़ को पसंद आने वाली गैरजिमेदारांना शायरी हो रही है , समाज के प्रति हमारी एक नैतिक जिम्मेदारी है और हमें इसका अहसास हमेशा होना चाहिए ,कुछ शायरों को भी समझना चाहये कि सिर्फ वाहवाही के चक्कर में फिजा में ज़हर न घोल दे ,इसलिए मोहब्बत पर बात करे ।

आजकल नफरत का बोलबाला है ,हर तरफ की फिजा जहरीली दिखाई देती है ,आपको क्या लगता है !

हाँ ,बिलकुल सही ,माहौल में बदलाव है ,सम्प्रदायिकता तेजी से बढ़ गयी है बल्कि बहुत ज्यादा हो गई है , मगर इसके लिए सिर्फ बहुसंख्यक समुदाय को दोष देना ठीक नही है , अल्पसंख्यको के कथित रहनुमाओ ने यह हालात पैदा किये , बहुसंख्यको की साम्प्रदायिकता अल्पसंख्यको के नेताओ के गलत कदमो से पैदा हुई , बहुसंख्यकों की आबादी चार गुना ज्यादा है ,अब अगर वो 25% भी साम्प्रदयिक होते हैं तो बराबर हो जाते है , मुस्लिम नेतागणों की साम्प्रदयिक टिपण्णीयो ने हिन्दू तबके को साम्प्रदयिक होने का अवसर दिया ,जबकि  पूरा हिन्दू साम्प्रदयिक नही है ,अब जैसे मैंने 34 फिल्में की है और सभी के निर्देशक और निर्माता हिन्दू ही है ,इन्होंने मुझे काम दिया , बॉलीवुड में वैसे भी हिन्दू मुस्लिम वाला मामला नही है , क्रिया की ही प्रतिक्रिया होती है ।

तो इस नफरत को खत्म करने का तरीका क्या है !

नफरत को सिर्फ मोहब्बत हरा सकती है , सबसे पहले तो मुस्लिम नेतागणों को बहुत सोच समझकर बोलना होगा ,उन्हें किसी ऐसी बात से परहेज करना होगा ,जिससे धुर्वीकरण हो , जबानी लफ्फाजी से ही आज यह दिन देखने को मिला है , केसरिया सरकार सिर्फ इन्ही जबान के शेरो की देन है , क़ौम को लगता है कि हमारी बात कह रहे है , जबकि ऐसा नही है ,हम लोगो को बेइंतहा शिद्दत से हिन्दू भाइयो के साथ बेहतर अख़लाक़ की नुमाइश करनी होगी ,न कि उनपर गलत टिपण्णी , मोहब्बत बांटी जाये तो मोहब्बत पैदा होगी , आजकल की घटनाएं नफरतो की देन है और हालात वाकई मुश्किल हो चुके हैं , मगर इसके लिए कथित फायर ब्रांड मुसलमान नेता भी जिम्मेदार है।जैसे मैं कहता हूँ कि –जिंदगी नाकामियो के नाम हो
इससे पहले कोई अच्छा काम हो ।

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