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धौलाना ‘ के ‘मौलाना ‘ की विधायक बनने की चमत्कारिक कहानी …

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वरिष्ठ पत्रकार आसमोहम्मद कैफ 

हापुड़ /धौलाना /गाजियाबाद

दिल्ली से बहुत करीब उत्तर प्रदेश की एक विधानसभा है धौलाना , यह वही जगह है जहाँ अखिलेश सरकार में पहला कलंक लगा था ,2012 में यहाँ पुलिस ने सीधे गोली चलाकर 5 मुसलमानो की जान ले ली थी , यह लोग एक साजिश के तहत क़ुरान शरीफ के टुकड़े सड़को पर मिलने का विरोध कर रहे थे , धौलाना विधानसभा राजपूत बहुल है यहाँ एक लाख से  ज्यादा राजपूत वोट है ,जिनमे लगभग 70 हजार हिन्दू राजपूत है और 30 हजार मुस्लिम राजपूत , हाल ही के चुनाव में यहाँ से बसपा के असलम चौधरी जीत गये है , यह जीत हैरत पैदा करती है क्योंकि यहाँ 40 साल से लगातार ठाकुर ही विद्यायक है ,दूसरे असलम चौधरी पुरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में अकेले मुस्लिम विद्यायक है ,तीसरे इनका टिकट नसीमुदीन सिद्दीकी ने काट दिया था ,मगर बसपा सुप्रीमो ने इन्हें ही लड़ाया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्होंने भाजपा के चार बार के सांसद और बड़े नेता रमेश चंद तोमर को हराया , इन सभी हालात में इनकी जीत एक चमत्कार है क्योंकि कई बार जीते स्थानीय सपा कांग्रेस प्रत्याशी  धर्मेश तोमर तीसरे स्थान पर खिसक गये , यह वही विधानसभा भी है , उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बनी ऐसी विधानसभा के नवनियुक्त विद्यायक असलम चौधरी ने capital stories से अपनी चुनावी रणनीति का खुलासा यह कहकर करते है ” ना कोई सलीक़ा है बंदगी का ,ना मेरी बन्दगी है यह सब तेरा करम है आका कि बात अब तक बनी हुई है ”  असलम चौधरी बताते है कि उनके चुनाव में योगी जी प्रचार के लिए गए थे उन्होंने कहा “धौलाना विधानसभा को “मौलाना “विधानसभा मत बनने देना,
मगर हम तब भी जीत गए ,जीतकर जब में  विधानसभा में आया तो योगी जी ने मुझे मुस्कुरा कर बधाई दी , असलम के अनुसार वो इसलिए जीते क्योंकि वो अल्लाह पर अटूट विश्वास करते है , 2012 में सपा के धर्मेश तोमर से हार गए थे ,इसबार उन्होंने भाजपा के रमेश तोमर को हरा दिया , असलम बताते है कि 2017 के चुनाव के ठीक पहले उनका टिकट काट दिया गया , ऐसा नसीमुदीन सिद्दीकी ने किया वो किसी बसपा सुप्रीमो मायावती से मिलकर अपना टिकट वापस करा लाया , जब असलम चौधरी जीतकर बसपा की मीटिंग में पहुंचे तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने 19 विद्यायको में असलम चौधरी की जमकर तारीफ की और कहा कि पूरे प्रदेश में सिर्फ यह ऐसा टिकट था जिसे उन्होंने खुद किया था ,
मगर यह सही फैसला रहा , असलम चौधरी ने यह चुनाव 3500 वोटो से जीता जबकि 2012 में वो  दो हजार से हार गए थे , धौलाना विधनसभा में 40 साल से एक ही जाति का विद्यायक है जिससे दूसरी जातियों को जिंदगी उतनी बेहतर नही हो पाई जितनी विद्यायकजी की बिरादरी वालो की , असलम चौधरी दिलचस्प किरदार रखते है वो 8वी तक पढ़े लिखे है ,
मगर प्रोपर्टी डीलिंग के बिजनेस में उनका नाम दिल्ली तक में गूंजता है , उनके पांचों बच्चे उच्च शिक्षा ले रहे है और वो ‘बीड़ी ‘ पीने के शौकीन है , राजनीतिक हलको में चर्चा है कि बसपा उन्हें लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है , असलम चौधरी की बातचीत में फकीरों और दरवेशों की बाते होती है ,असलम कहते है ,इनकी दुआओ ने उनकी जिंदगी बदली है ,असलम चौधरी का अतीत काफी संघर्षशील रहा है ,विधायक बनने के बाद उनके पास सबसे ज्यादा शिकायत झगड़े की आती है ,कमाल यह है कि इस विधनसभा में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा गाँव है जिनमे अभी बिजली के तार भी डाले गए और असलम बस पिछला इतिहास बदलने पर लगे है ।नफरत फैलाने वाले नए एजेंडों पर वो कहते ही कि मुसलमानो ने अल्लाह के एजेंडा पर काम करना छोड़ दिया है इसलिए हालात है।

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